उदयपुर। नगर निगम परिसर में आयोजित ज्ञान गंगा महोत्सव के दौरान राष्ट्रीय संत आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज द्वारा वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी डॉ. शोभालाल औदीच्य को सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें वर्ष 2002 से निरंतर 400 से अधिक साधु-साध्वियों की नि:शुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवा प्रदान करने हेतु दिया गया। उन्हें अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र व सम्मान प्रतीक भेंट कर पूज्य संत द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर नगर निगम के पदाधिकारी, गणमान्य नागरिक, विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, संत समाज और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे जिसमें 400 से अधिक साधु-साध्वियों की सेवा का समर्पण हुआ। डॉ. शोभालाल औदीच्य ने वर्ष 2002 से संत समाज की सेवा को अपना जीवन ध्येय बना लिया। वे मानते हैं कि आयुर्वेद केवल शरीर की नहीं, बल्कि मन और आत्मा की भी चिकित्सा करता है। तपस्वी, व्रती, ध्यानस्थ साधु-साध्वियों के लिए शरीर का आरोग्य साधना की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी उद्देश्य से वे विभिन्न जैन मुनियों, दिगंबर व श्वेतांबर साध्वीवृंद, वैदिक ऋषि परंपरा से जुड़े संतों तथा अन्य तपस्वियों के शारीरिक कष्टों का शास्त्रीय पद्धति से उपचार कर रहे हैं। उनकी सेवा में आयुर्वेद के पंचकर्म, बस्ती नस्य स्वेदन शिरोधारा, नाड़ी परीक्षा, रसायन चिकित्सा जैसे उपचार सम्मिलित हैं। उन्होंने अनेक संतों के अस्थि, वात विकार, स्वर विकार, अनिद्रा, मानसिक थकान, मंदाग्नि जैसी समस्याओं का समाधान सफलतापूर्वक किया है। ज्ञान गंगा महोत्सव में संतवाणीः
ज्ञान गंगा महोत्सव के दौरान राष्ट्रीय संत आचार्य श्री पुलक सागर जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि “डॉ. शोभालाल औदीच्य ने जिस श्रद्धा और निष्ठा से वर्षों तक साधु-साध्वियों की सेवा की है, वह अत्यंत वंदनीय है। संतों की सेवा, केवल शरीर नहीं, बल्कि उनके तप, त्याग और साधना के सहायक बनना है। यह कार्य तभी संभव है जब मन में सेवा और समर्पण का भाव हो।”
सम्मान प्राप्त करने के उपरांत डॉ. औदीच्य ने कहा कि “मेरे लिए यह सम्मान नहीं, बल्कि एक नई जिम्मेदारी है। यह संतों की कृपा और आयुर्वेद शास्त्र की महानता का प्रतिफल है। जब एक साधक बिना शारीरिक कष्ट के अपनी साधना पूर्ण कर पाता है, तो मेरा उद्देश्य सिद्ध होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में वे साधु-संतों के लिए विशेष चलित पंचकर्म यूनिट प्रारंभ करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में प्रवासरत संतों तक भी आयुर्वेद की पहुंच बनाई जा सके। डॉ. औदीच्य न केवल संत समाज, बल्कि आमजन में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। उनके नेतृत्व में “स्वर्णप्राशन संस्कार महाभियान” के अंतर्गत अब तक 4 लाख से अधिक बच्चों को आयुर्वेदिक इम्युनिटी बूस्टर औषधि नि:शुल्क दी जा चुकी है।
वहीं, प्राकृतिक ऋतुचर्या, पंचकर्म चिकित्सा और नाड़ी परीक्षण जैसे विषयों पर वे समय-समय पर कार्यशालाएं, शिविर और जनजागरूकता अभियान संचालित करते हैं। नगर निगम उदयपुर, आयुर्वेद विभाग, तथा संत समाज के प्रतिनिधियों ने डॉ. शोभालाल औदीच्य के योगदान की सराहना करते हुए उन्हें भावभीनी शुभकामनाएं दीं। उनकी यह सेवा नई पीढ़ी के चिकित्सा कर्मियों को भी यह संदेश देती है कि चिकित्सा केवल रोग निवारण नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और अध्यात्म की रक्षा में भी सहायक बन सकती है।
डॉ. शोभालाल औदीच्य ने कहा कि जब तक आयुर्वेद में जीवन है और संत समाज का आशीर्वाद है, तब तक वे सेवा में समर्पित रहेंगे।








